न कुछ हम कहें ,न कुछ तुम कहो ये लम्हों से लम्हों की बात है, न कुछ हम कहें ,न कुछ तुम कहो ये लम्हों से लम्हों की बात है,
सिर्फ रिसते। सिर्फ रिसते।
यह प्रेम नहीं है ये जाल है, यह मन, मस्तिष्क की चाल है! यह प्रेम नहीं है ये जाल है, यह मन, मस्तिष्क की चाल है!
जिनकी नजरों में मोहन समाये वो नजर फिर तरसती नहीं है ये तो...... जिनकी नजरों में मोहन समाये वो नजर फिर तरसती नहीं है ये तो......
अब इस कैंसर का इलाज का जुगाड़ हो नहीं रहा है अब इस कैंसर का इलाज का जुगाड़ हो नहीं रहा है
शीश हिमालय चरण में सागर विषधारी कैलाश यहाँ ! चन्दन है भूमि जिसकी मृगननी यकंचन भाल यहा शीश हिमालय चरण में सागर विषधारी कैलाश यहाँ ! चन्दन है भूमि जिसकी मृगननी यकंच...